शिव पुराण
शिव पुराण, वेद पुराणों में से एक है और भगवान शिव की महिमा, लीलाएं, तत्व और उनके भक्तों के बारे में विस्तृत ज्ञान प्रदान करता है। यह पुराण, संस्कृत में लिखा गया था, और इसके चार विभाग हैं जिनमें अलग-अलग विषयों पर चर्चा की गई है।
प्रथम विभाग में, शिव पुराण वेदांत, सांख्य, योग, धर्म और मोक्ष के विषयों पर चर्चा करता है। इसमें शिव भगवान के आदि रूप की महिमा और उनके ज्ञान का वर्णन भी है। द्वितीय विभाग में, भगवान शिव की विविध लीलाएं और उनके महात्म्य का वर्णन है। तृतीय विभाग में, शिव पुराण में वर्णित शिवलिंगों के महत्व पर बल दिया गया है, और चतुर्थ विभाग में, भगवान शिव के भक्तों द्वारा किए गए व्रतों और पूजा-अर्चना का वर्णन है।
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शिव पुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों, उनके धार्मिक महत्व, तपस्या, विवाह, बाल लीला, नाटकीय लीला, राजा दक्ष द्वारा दक्षिणा काण्ड और अनेक राजाओं द्वारा शिव-भक्ति का वर्णन है।
शिव पुराण में विष्णु, ब्रह्मा और अन्य देवताओं के साथ शिव के संबंध का भी वर्णन है। इसके अलावा, यह पुराण शक्ति पीठों के विषय में भी ज्ञान प्रदान करता है और भक्तों को माँ शक्ति की महिमा का अनुभव कराता है।
शिव पुराण को पढ़कर एक व्यक्ति भगवान शिव के प्रति भक्ति भाव और धार्मिकता में सुधार करता है। यह पुराण विश्वास का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जो भगवान शिव के विषय में ज्ञान और प्रेम को बढ़ाता है। शिव पुराण के पाठन से एक व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा के सम्बन्ध में समझ और जागरूकता पैदा होती है।
शिव पुराण भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण पुराणों में से एक है जिसमें भगवान शिव के अनेक रहस्यमय और महान विग्रहांतर का वर्णन है। यह पुराण भगवान शिव के महात्म्य, उनकी तांडव नृत्य, जटाधारी विशेष शंकर रूप और उनके परिवार के बारे में बताता है। इसमें भगवान शिव के विभिन्न अवतार, जन्मकथाएं, लीलाएं और उनके भक्तों के कथाएं भी सम्मिलित हैं।
शिव पुराण के विभाग:
- विद्येश्वर संहिता: इसमें भगवान शिव के महात्म्य, तांडव नृत्य, वैष्णव और शैव मार्ग के बारे में ज्ञान प्रदान किया गया है।
- रुद्र संहिता: इस संहिता में भगवान शिव के विभिन्न अवतार, पार्वती के स्वयंवर कथा, मार्कण्डेय और तारकासुर के कथाएं उपलब्ध हैं।
- शती संहिता: यह संहिता भगवान शिव के विभिन्न प्रकार के पूजा पद्धतियों और उपासना विधियों का वर्णन करती है।
- कोदर्म संहिता: इस संहिता में शिवलिंगों के महत्व और शिव के प्रत्येक लिंग के स्थान का वर्णन है।
शिव पुराण की उत्पत्ति, रचना, और विस्तार:
शिव पुराण की रचना को तिथि नहीं जाना जा सकता है। इसका मूल रूप संस्कृत में है, और इसे भारतीय संस्कृति के एक प्रमुख ग्रंथ माना जाता है। इस पुराण के महत्वपूर्ण पाठक हिंदू धर्म के अनुयायी हैं, जो भगवान शिव के दिव्यता, प्रेम, और धर्म के प्रति अपार श्रद्धा रखते हैं।
शिव पुराण में भगवान शिव के ब्रह्माण्ड सृष्टि का वर्णन, मां पार्वती के साथ उनके रोमांचक भविष्यवक्ता दक्ष द्वारा किए गए विवाह का वर्णन, मार्कण्डेय, अंधकासुर, तारकासुर, विष्णु और ब्रह्मा के संबंध में भगवान शिव के भविष्यवक्ता भृगु के द्वारा बताए गए कथाएं शामिल हैं।
भगवान शिव के भक्तों के प्रति उनकी कृपा, शिवलिंगों के महत्व, विभिन्न व्रतों और पूजा अर्चना का वर्णन भी शिव पुराण में पाया जाता है।
इस पुराण को पढ़कर एक व्यक्ति को भगवान शिव के प्रति श्रद्धा एवं आस्था बढ़ती है, और उनके धर्मिक महत्व को समझने में सहायक होता है। यह ग्रंथ हिंदू संस्कृति में शिव भक्ति एवं धार्मिकता के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
शिव पुराण प्रश्नोत्तरी
- प्रश्न: शिव पुराण क्या है और इसका महत्व क्या है?
उत्तर: शिव पुराण एक प्राचीन भारतीय पुराण है, जिसमें भगवान शिव के जीवन, लीलाएं, अवतार, विभूतियां, धर्मिक महत्व और उनके भक्तों के कथानकों का विस्तृत वर्णन है। इस पुराण में भगवान शिव को त्रिमूर्ति में से एक माना जाता है जिनमें ब्रह्मा (सृष्टि के सृजनकार) और विष्णु (सृष्टि के पालनकर्ता) भी हैं। शिव पुराण भगवान शिव के महत्वपूर्ण भक्तों जैसे मार्कण्डेय, पार्वती, नंदी, भृगु, दक्ष, तारकासुर आदि के भक्ति और श्रद्धा की गाथाएं भी सम्मिलित हैं।
शिव पुराण का महत्व भारतीय संस्कृति में बहुत उच्च है। यह पुराण शिवभक्ति, धर्मिक आदर्शों, तपस्या, सत्य, और न्याय को प्रशंसा करता है। इसके विविध अध्यायों में ध्यान, ज्ञान, भक्ति, और वैराग्य के मार्ग का वर्णन किया गया है। इस पुराण में भगवान शिव के गुणों, सत्यता, और न्यायप्रिय व्यवहार के प्रशंसकों को प्रेरित करने वाले कई कथाएं हैं। शिव पुराण को पढ़ने से व्यक्ति का मन शांत होता है और वह धार्मिकता, सच्चे मन से शिव की भक्ति करने के प्रति प्रेरित होता है।
- प्रश्न: शिव पुराण किस भाषा में उपलब्ध है?
उत्तर: शिव पुराण संस्कृत भाषा में लिखा गया है, जो कि भारतीय संस्कृति की मूल भाषा है। यह पुराण संस्कृत भाषा में ही प्राचीन काल से लिखा गया है और आज भी संस्कृत शिक्षा के विभिन्न संस्थानों में पढ़ाया जाता है।
- प्रश्न: शिव पुराण में कितने अध्याय हैं?
उत्तर: शिव पुराण कुल मिलाकर 24,000 श्लोकों (अध्यायों) में विभाजित है। यह विभाजन चार विभागों (संहिताओं) में होता है, जिनमें विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई है। इन विभागों का विवरण ऊपर दिया गया है।
- प्रश्न: शिव पुराण में कौन-कौन सी कथाएं अधिक मशहूर हैं?
उत्तर: शिव पुराण में कई प्रसिद्ध कथाएं हैं जो भगवान शिव के अवतार, लीलाएं और भक्तों के बारे में हैं। कुछ प्रमुख
कथाएं निम्नलिखित हैं:
- – मार्कण्डेय कथा: भगवान शिव के भक्त मार्कण्डेय के जीवन की कथा, उनकी माँ पार्वती के साथ सम्बन्ध, और उनकी भक्ति की महिमा इस कथा में बताई गई है।
- – दक्ष कथा: भगवान शिव के भक्त दक्ष की अहंकार से भरी कथा और उसके द्वारा किए गए दक्षयज्ञ की विध्वंस कथा इस पुराण में प्रसिद्ध है।
- – तारकासुर कथा: राक्षस तारकासुर के वध का वर्णन भगवान शिव के अवतार भगवान शंकर द्वारा किया गया है।
- – पार्वती स्वयंवर: माँ पार्वती के स्वयंवर की कथा और भगवान शिव के द्वारा उनके विवाह का वर्णन इस पुराण में मिलता है।
इनके अलावा भी शिव पुराण में अनेक और कथाएं हैं, जो इस पुराण को अत्यंत रोचक बनाती हैं।
- प्रश्न: शिव पुराण के अलावा भी कौन-कौन से पुराण हैं?
उत्तर: शिव पुराण के अलावा भारतीय संस्कृति में कई और पुराण हैं, जो विभिन्न देवताओं और देवी-देवताओं के बारे में विस्तृत ज्ञान प्रदान करते हैं। कुछ प्रमुख पुराणों के नाम निम्नलिखित हैं:
- – भागवत पुराण: भगवान विष्णु की महिमा, उनके अवतार, और उनके भक्तों की कथाएं इस पुराण में हैं।
- – विष्णु पुराण: भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों, सृष्टि, वर्णाश्रम धर्म, और उपासना का वर्णन इस पुराण में है।
- – देवी भागवत पुराण: माँ दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं की महिमा, उनके अवतार, और भक्तों के कथानक इस पुराण में प्रसिद्ध हैं।
- – ब्रह्म पुराण: ब्रह्मा देव के सृष्टि, प्रलय, और विभिन्न ज्ञान विधियों का वर्णन इस पुराण में है।
- – वायु पुराण: भगवान वायु के अवतार, तपस्या, और धर्म संबंधी विषयों का वर्णन इस पुराण में है।
- इनके अलावा भी भारतीय संस्कृति में कई और पुराण हैं जो भक्तों को धार्मिकता, भक्ति और ज्ञान के बारे में शिक्षा देते हैं।
- शिव पुराण में क्या लिखा है?
शिव पुराण में भगवान शिव और उनकी शक्ति पार्वती के बारे में बताया गया है. इसमें उनके जन्म, विवाह, शिवलिंग की उत्पत्ति, शिव के 108 नाम, शिव के 12 अवतार, शिव के 12 ज्योतिर्लिंग और शिव के मंत्रों का उल्लेख है.
- शिव पुराण में कितने सहित आए हैं?
शिव पुराण में 24,000 श्लोक हैं.
- शिव के पहले कौन था?
शिव के पहले ब्रह्मा थे.
- शिव पुराण कैसे पढ़ना चाहिए?
शिव पुराण को नियमित रूप से पढ़ना चाहिए. इसे पढ़ने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
- सबसे पहले कौन सा पुराण पढ़ना चाहिए?
सबसे पहले ब्रह्म पुराण पढ़ना चाहिए.
- शिवलिंग पर सबसे पहले क्या पढ़ना चाहिए?
शिवलिंग पर सबसे पहले “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना चाहिए.
- शिव पुराण का मूल मंत्र क्या है?
शिव पुराण का मूल मंत्र “ॐ नमः शिवाय” है.
- शिव पुराण घर में रख सकते हैं क्या?
शिव पुराण को घर में रखना शुभ माना जाता है.
- भगवान शिव के पिता कौन हैं?
भगवान शिव के पिता ब्रह्मा हैं.
- शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग क्या है?
शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है.
- हिंदू धर्म में शिव कौन है?
हिंदू धर्म में शिव को देवों का देवता माना जाता है.
- हम शिवपुराणम क्यों पढ़ते हैं?
हम शिव पुराण पढ़ते हैं ताकि हम भगवान शिव के बारे में अधिक जान सकें और उनकी पूजा कर सकें.
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