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ॐ नमः शिवाय – om namah shivaya

ॐ नमः शिवाय

 

ॐ नमः शिवाय हिन्दू धर्म में एक प्रमुख मन्त्र है, जिसे अत्यंत लोकप्रियता प्राप्त है। यह मन्त्र महादेव भगवान शिव को समर्पित है और उनके महत्वपूर्ण मन्त्रों में से एक है। नमः शिवाय का अर्थ है “भगवान शिव को नमस्कार” या “उस शिव को प्रणाम करता हूँ!”। इसे शिव पञ्चाक्षर मन्त्र या पञ्चाक्षर मन्त्र भी कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है “पाँच-अक्षरों का मन्त्र” (ॐ को छोड़कर)। यह मन्त्र श्री रुद्रम् चमकम् और रुद्राष्टाध्यायी में “न”, “मः”, “शि”, “वा” और “य” के रूप में प्रकट होता है। श्री रुद्रम् चमकम् कृष्ण यजुर्वेद[1] का एक अंश है और रुद्राष्टाध्यायी, शुक्ल यजुर्वेद का एक भाग है।

मन्त्र की उत्पत्ति:

यह मन्त्र श्री रुद्राष्टाध्यायी में विद्यमान है, जो शुक्ल यजुर्वेद का भाग है। यह मन्त्र श्री रुद्राष्टाध्यायी के पांचवें अध्याय (जिसे चमकम् कहा जाता है) के इकतालीसवें श्लोक में ‘नमः शिवाय च शिवतराय च‘ के रूप में प्रस्तुत है।

नमः शिवाय का अर्थ है “भगवान शिव को नमस्कार” या “उस मंगलकारी को प्रणाम!”।

मन्त्र का विभिन्न परंपराओं में अर्थ:

सिद्ध शैव और शैव सिद्धांत परम्परा, जो शैव सम्प्रदाय का हिस्सा है, उनमें नमः शिवाय को भगवान शिव के पंच तत्त्वों की ज्ञानबोधक और उनकी पाँच तत्त्वों के सार्वभौमिक एकता को दर्शाता मानते हैं:

“न” ध्वनि पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता है।
“मः” ध्वनि पानी का प्रतिनिधित्व करता है।
“शि” ध्वनि अग्नि का प्रतिनिधित्व करता है।
“वा” ध्वनि प्राणिक वायु का प्रतिनिधित्व करता है।
“य” ध्वनि आकाश का प्रतिनिधित्व करता है।

इसका कुल अर्थ है कि “सार्वभौमिक चेतना एक है”।

शैव सिद्धांत परम्परा में यह पाँच अक्षर इन निम्नलिखित का भी प्रतिनिधित्व करते हैं:

“न” ईश्वर की गुप्त रखने की शक्ति (तिरोधान शक्ति) का प्रतिनिधित्व करता है।
“मः” संसार का प्रतिनिधित्व करता है।
“शि” शिव का प्रतिनिधित्व करता है।
“वा” उसका खुलासा करने वाली शक्ति (अनुग्रह शक्ति) का प्रतिनिधित्व करता है।

“य” आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है।

मन्त्र की विभिन्न शास्त्रों में उपस्थिति:

यह मन्त्र श्री रुद्रम् चमकम् में “न”, “मः”, “शि”, “वा” और “य” के रूप में प्रकट होता है, जो कृष्ण यजुर्वेद का हिस्सा है।
इस मन्त्र का प्रकट होने का उल्लेख रुद्राष्टाध्यायी में भी है, जो शुक्ल यजुर्वेद का हिस्सा है।
यह मन्त्र पूरे श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र के अर्थ को समर्पित है।
तिरुमन्तिरम, जो तमिल भाषा में लिखित शास्त्र है, इस मन्त्र का अर्थ बताता है।
शिव पुराण के विद्येश्वर संहिता के अध्याय 1.2.10 और वायवीय संहिता के अध्याय 13 में ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र लिखा हुआ है।
तमिल शैव शास्त्र, तिरुवाकाकम, “न”, “मः”, “शि”, “वा” और “य” अक्षरों से शुरू होता है।

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