ओ ठाकुर प्यारे,
ओ सुनले सांसो की तड़पन,
निशदिन तुझे पुकारे मन,
ओ तेरे चरणों में जीवन,
ओ ठाकुर प्यारें।।
तर्ज – ओ बाबुल प्यारे।
मैं थी अभागन बनी बड़भागन,
दर पे आ के तेरे,
सबने रुलाया तुमने ही बाबा,
पोंछे आंसू मेरे,
ये तेरी लाडो करे अरदास,
मांगे जनम जनम का साथ,
अब तो थाम ले तू आके हाथ,
ओ ठाकुर प्यारें।।
मैं तेरी लाड़ली बिटिया हूँ बाबा,
आके मेरे लाड़ लड़ाओ,
रोज बाबुल के घर में आती,
कभी घर मेरे भी आओ,
ये है बिटिया का अधिकार,
आके मिल जाओ इक बार,
मेरे सांवरिया सरकार,
ओ ठाकुर प्यारें।।
जनक ने जैसे प्यार दिया है,
अपनी ही जानकी को,
तुम भी वैसे अपना बनाओ,
अपनी ‘कपिल लाड़ली’ को,
मैं तो डूबी आहों में,
बेटी भटके राहों में,
अब तो दे दे अपना साथ,
ओ ठाकुर प्यारें।।
ओ ठाकुर प्यारे,
ओ सुनले सांसो की तड़पन,
निशदिन तुझे पुकारे मन,
ओ तेरे चरणों में जीवन,
ओ ठाकुर प्यारें।।
Singer – Kapil Ladli
ओ ठाकुर प्यारे, ओ सुनले सांसो की तड़पन,
यह एक प्रसिद्ध हिंदी भजन है जो श्री कृष्ण जी को समर्पित है। इस भजन में भक्त श्री कृष्ण जी से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें ध्यान में लेकर अपनी सांसों की तड़प को दूर करें। भजन के शब्द बहुत ही सुंदर हैं और इसे गायन करने से भक्त का मन शांत होता है।